50 साल की सेवा, फिर भी हक़ से वंचित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं का फूटा गुस्सा;अब महा आंदोलन करने की तैयारी


मनेन्द्रगढ़ जिला एमसीबी छत्तीसगढ़ की एक लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं का गुस्सा आखिरकार फूट पड़ा। 50 साल से आईसीडीएस योजना के तहत घर-घर सरकारी योजनाएं पहुंचाने वाली ये महिलाएँ आज भी न्यूनतम वेतन, पेंशन, ग्रेच्युटी, बीमा और सम्मान जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। 

मानदेय के नाम पर कार्यकर्ता को मात्र 4500 और सहायिका को 2250 रुपये देकर सरकारें बरसों से इन्हें छलती आ रही हैं

1 सितम्बर 2025 को प्रांतीय आह्वान पर प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में कार्यकर्ता सहायिकाएं सड़क पर उतर आई। घरना, सभा और रैली के जरिए इनकी आवाज सत्ता के गलियारों तक गूंज उठी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नाम ज्ञापन सौंपकर दो टूक चेतावनी दी टालमटोल नहीं चलेगा,हमारी मांगें पूरी करे वरना बड़ा आंदोलन होगा

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मुख्य मांगें, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को तृतीय श्रेणी और सहायिकाओं को चतुर्थ श्रेणी कमर्चारी का दर्जा, 

शासकीयकरण होने तक समान वेतन कार्यकर्ता को 26,000 और सहायिका को 22,100 रुपये प्रतिमाह, सेवा निवृत्ति पर पेंशन, ग्रेच्युटी, कैशलेस चिकित्सा सुविधा और बीमा पदोन्नति में सहायिका को कार्यकर्ता और कार्यकर्ता को सुपरवाइजर बनाने की नीति, 

डिजिटल झंझट (फेस कैप्चर, ई केवाईसी टी एच आर ट्रैकर) खत्म कर ऑफलाइन पद्धति बहाल, महंगाई भत्ता और गुजरात हाईकोर्ट के न्यूनतम वेतन-ग्रेच्युटी फैसले को लागू करना सेवानिवृत्ति पर कार्यकर्ता को 10,000 पेंशन व 5 लाख और सहायिका को 8,000 पेंशन और 4 लाख ग्रेच्युटी आकस्मिक मृत्यु पर परिवार को अनुकंपा नियुक्ति, 

धरने में मौजूद कार्यकर्ता-सहायिकाओं ने कहा- हमने आधी जिंदगी सेवा में लगा दी, लेकिन सरकार ने हमें कभी कमर्चारी माना ही नहीं। एक स्वर में बोलीं- अबकी बार हक़ लेकर ही दम लेंगे

दोनो सरकारें सालों से ज़िम्मेदारी टालती रही हैं। अब देश और छत्तीसगढ़ दोनों जगह एक ही दल की सरकार है, तो बहाने बाजी नहीं चलेगी धरना सभा में नारे गूंजे शासकीय कमचारी का दर्जा दो मानदेय नहीं, वेतन चाहिए पेंशन-ग्रेच्युटी हमारा हक है

अबकी बार आखिरी लड़ाई होगी

यह आंदोलन अब चेतावनी भर है। यदि जल्द सुनवाई नहीं हुई तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता- सहायिकाएँ प्रदेशव्यापी महाआंदोलन छेड़ने की तैयारी में हैं।

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