15 साल से छोटे बच्चों के लिए बैन होगा सोशल मीडिया: सरकार का बड़ा फैसला 😳Social Media Banned in Denmark

15 साल से छोटे बच्चों के लिए बैन होगा सोशल मीडिया: सरकार का बड़ा फैसला 😳Social Media Banned in Denmark

सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और इसके नकारात्मक परिणामों को देखते हुए, कई देश अब कड़े कदम उठा रहे हैं। हाल ही में, डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने घोषणा की कि उनके देश में 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। यह निर्णय बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

डेनमार्क सरकार का बड़ा फैसला

डेनमार्क में अब 15 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग नहीं कर पाएंगे। हालांकि, माता-पिता चाहें तो अपने बच्चों को 13 साल की उम्र से सोशल मीडिया का उपयोग करने की अनुमति दे सकते हैं। यह कदम ऑस्ट्रेलिया और नॉर्वे की नीतियों से प्रेरित है, जो पहले से ही इस तरह के प्रतिबंधों पर विचार कर रहे हैं।

सोशल मीडिया बैन लगाने वाले अन्य देश

ऑस्ट्रेलिया की पहल

ऑस्ट्रेलिया ने भी 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका उद्देश्य बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षा प्रदान करना और उनके मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करना है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह सोशल मीडिया कंपनियों पर कड़ी नजर रखेगी और नियमों का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई करेगी।

फ्रांस की सिफारिश

फ्रांस में भी 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। फ्रांसीसी सांसदों की एक समिति ने यह सिफारिश की है, साथ ही 15 से 18 साल के किशोरों के लिए रात में डिजिटल कर्फ्यू लागू करने का भी सुझाव दिया है।

क्यों लगाया सोशल मीडिया पर बैन?

• इन देशों का मानना है कि सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

• बच्चे सोशल मीडिया के उपयोग की वजह से बाहर खेलने भी नहीं निकलते इससे उनकी सामाजिक कटाव की समस्या पैदा होती है।

• इसके अलावा, ऑनलाइन सुरक्षा की कमी भी एक बड़ा मुद्दा है। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ ऑनलाइन वातावरण प्रदान करना है।

  सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का यह कदम बच्चों की सुरक्षा और उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अन्य देश इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और इन प्रतिबंधों का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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