2027 में होगी पहली डिजिटल जनगणना: भारत के लिए एक बड़ा बदलाव
Digital Census in 2027: भारत में साल 2027 में पहली बार पूरी तरह डिजिटल जनगणना कराई जाएगी। यह देश की जनगणना प्रक्रिया में एक ऐतिहासिक बदलाव माना जा रहा है। अब तक जनगणना कागज और पेन के माध्यम से की जाती थी, लेकिन डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल से यह प्रक्रिया ज्यादा तेज, आसान और पारदर्शी हो जाएगी। सरकार का लक्ष्य है कि डिजिटल जनगणना के जरिए सटीक आंकड़े जुटाए जाएं और समय की बचत हो।
डिजिटल जनगणना में मोबाइल ऐप, टैबलेट और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाएगा। जनगणना कर्मचारी घर-घर जाकर डिजिटल डिवाइस के माध्यम से लोगों की जानकारी दर्ज करेंगे। इसके अलावा, नागरिकों को स्वयं ऑनलाइन फॉर्म भरने का विकल्प भी मिल सकता है। इससे लोगों को लंबी प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं पड़ेगी और डेटा सीधे सरकारी सर्वर पर सुरक्षित तरीके से जमा होगा।
इस नई व्यवस्था से डेटा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। कागजी जनगणना में गलतियों की संभावना अधिक रहती थी, जैसे जानकारी का गलत दर्ज होना या डेटा का खो जाना। डिजिटल जनगणना में रियल-टाइम डेटा एंट्री, ऑटोमैटिक वैलिडेशन और तुरंत अपडेट की सुविधा होगी, जिससे गलतियों में कमी आएगी। साथ ही, आंकड़ों का विश्लेषण भी तेजी से किया जा सकेगा।
सरकार का मानना है कि डिजिटल जनगणना से नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। सही और ताजा जनसंख्या डेटा के आधार पर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास और बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकेगा। यह खासतौर पर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों के विकास में सहायक साबित होगी।
हालांकि, डिजिटल जनगणना के साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। जैसे इंटरनेट कनेक्टिविटी, डिजिटल साक्षरता और डेटा सुरक्षा। सरकार इन सभी पहलुओं पर काम कर रही है ताकि लोगों की निजी जानकारी पूरी तरह सुरक्षित रहे और किसी भी तरह के दुरुपयोग की संभावना न हो।
कुल मिलाकर, 2027 की डिजिटल जनगणना भारत को डिजिटल रूप से और मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न सिर्फ प्रशासनिक प्रक्रिया को आसान बनाएगी, बल्कि देश के विकास की योजनाओं को भी नई दिशा देगी।

