अभी तक यह दल एक साथ ही विचरण कर रहा है। यदि हाथी छोटे दल में विभक्त हुए तो परेशानी बढ़ सकती है। प्रभावित गांवों के ग्रामीणों में भय का माहौल है। वन विभाग की टीमें लगातार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रही हैं और ग्रामीणों को सचेत कर रही कि वे जंगलों की ओर ना जाएं और ना ही स्वयं हाथियों को खदेड़ने का प्रयास करें। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाथियों को सुरक्षित दिशा में आगे बढ़ाने के प्रयास जारी हैं । यह वही समय है जब किसान अपने खेतों में खड़ी फसल की रखवाली में जुटे रहते हैं। ऐसे में हाथियों के खेतों में उतरने से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कई जगहों पर फसल बर्बाद हो चुकी है। वन विभाग का अनुमान है कि यह झुंड आने वाले दिनों में जशपुर की दिशा में आगे बढ़ सकता है। वर्तमान स्थिति में हाथियों और इंसानों दोनों की सुरक्षा बड़ी चुनौती बनी हुई है। ग्रामीणों से अपील की गई है कि वे वन विभाग के निर्देशों का पालन करें, ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके।
अंबिकापुर और लुंड्रा वन परिक्षेत्र की सीमा पर स्थित रामनगर- कोरिमा क्षेत्र में इन दिनों 25 हाथियों का बड़ा दल विचरण कर रहा है। यह दल पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र के किसानों के लिए बड़ी मुसीबत बना हुआ है। हाथियों द्वारा धान की खड़ी फसलों को रौंदकर तथा खाकर भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है ग्रामीणों के अनुसार, जिस खेत से होकर यह झुंड गुजरता है, वहां की फसल पूरी तरह तबाह हो जाती है। हाथियों का दल पहले प्रतापपुर क्षेत्र में विचरण कर रहा था, वहां से आगे बढ़ते हुए अंबिकापुर वन परिक्षेत्र में घुसा है। झुंड ने सकालो, घँघरी होते हुए अंबिकापुर-रामानुजगंज राष्ट्रीय राजमार्ग को पार किया और रामनगर क्षेत्र की ओर रुख किया है। दिन के समय हाथी जंगलों में रहते हैं, लेकिन जैसे ही शाम ढलती है, वे आबादी वाले क्षेत्रों के नजदीक खेतों में उतर आते हैं, जिससे किसानों की नींद उड़ी हुई है। वन विभाग के लिए भी इन हाथियों की निगरानी बड़ी चुनौती बन गई है, क्योंकि झुंड में हाथियों की संख्या अधिक है।
