मनुष्य को अपने भावी जन्म की तैयारी इसी जन्म में करनी होती हैं।
आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के प्रवचन में भागवत की महत्ता और इसके महत्व को समझाया । उन्होंने बताया कि भागवत भगवान के अवतारों का इतिहास हैं और मनुष्य को अपने भावी जन्म की तैयारी इसी जन्म में ही करना पड़ता हैं।
ध्रुव चरित्र की कथा
आचार्य पंडित शर्मा ने ध्रुव चरित्र की कथा का विस्तार से वर्णन किया, जिसमें बताया गया है कि कैसे बालक ध्रुव जी ने भगवान की तपस्या की और उन्हें अपने भक्ति और तप के बल पर सातवें आसमान से नीचे उतारा। आचार्य श्री ने कहा कि माता सुनीति की प्रेरणा से ध्रुव जी ने भगवान की भक्ति की और ध्रुव लोक की प्राप्ति की।
भक्ति की महत्ता प्रतिपादित भक्ति की डोर से भगवान को बांधा जा सकता हैं
आचार्य महराजश्री ने भक्ति की महत्ता पर जोर दिया और बताया कि भगवान हमेशा अपने भक्तों के वशीभूत हो जाते हैं । उन्होंने बताया कि भक्ति की डोर से ही भगवान को बांधा जा सकता हैं और दृढ़ संकल्प करने पर हमारा कठिन से कठिन कार्य भी सिद्ध हो जाता हैं।
श्रीमद्भागवत कथा का रसपान करने मीडिया जगत से जुड़े हुए शशिभूषण सोनी पहुंचे और उन्होंने आचार्य श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया । इस अवसर पर आचार्य ने श्रीमद्भागवत कथा महापुराण की महत्ता पर प्रकाश डाला और कहा कि श्रीमद्भागवत दिव्य ग्रंथ हैं, इसमें केवल भगवान की ही नहीं बल्कि उनके प्रिय भक्तों की कथा का विस्तार किया गया हैं । उन्होंने कहा कि यह महापुराण आत्मज्ञान और भक्ति का मार्ग दिखाता हैं और जीवन की व्यथा और समस्याओं का समाधान प्रदान करता हैं।


