कोलकाता में भारी बारिश से सड़कें डूबी; जानिए अगर दिल्ली में ऐसी बारिश होगी तो क्या होगा ?

कोलकाता में भारी बारिश से सड़कें डूबी; जानिए अगर दिल्ली में ऐसी बारिश होगी तो क्या होगा ?

Flood in Kolkata|Delhi|कल से हो रही जोरदार बारिश से पूरा कोलकाता टापू में तब्दील हो गया। सड़कों पर 3 फीट तक पानी भर गया। रेलवे व बस स्टैंड से लेकर यहां बने हजारों दुर्गा पंडाल पानी में डूब गए, जबकि करंट लगने से 5 लोगों की मौत हो गई।




कोलकाता में बाढ़ कोई नई बात नहीं है, खासकर मानसून के मौसम में. लेकिन कोलकाता में 23 सितंबर को रात भर हुई भारी बारिश असामान्य थी. इसे ‘सालों में एक बार होने वाली घटना’ माना जा सकता है. जिसने शहर के बुनियादी ढांचे पर भारी दबाव डाला. रेल और मेट्रो सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं, कई लंबी दूरी की ट्रेनों के समय में फेरबदल किया गया. हवाई अड्डे के रनवे के जलमग्न रहने के कारण 90 से ज्यादा उड़ानें रद्द कर दी गईं. कोलकाता के कई निवासियों ने रात भर हुई बारिश की तुलना ‘बादल फटने’ जैसी मूसलाधार बारिश से की और कहा कि ऐसा कुछ सालों से नहीं देखा गया था।

अगर दिल्ली में कोलकाता जैसी बारिश हो तो क्या होगा?

कोलकाता जैसी भारी बारिश अगर दिल्ली में हो जाए तो स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है. हालांकि दिल्ली और कोलकाता की भौगोलिक और जल निकासी व्यवस्था अलग-अलग है, लेकिन दिल्ली में भी बाढ़ और जलभराव के अपने जोखिम हैं. भले ही दिल्ली का भूगोल कोलकाता से थोड़ा अलग है, लेकिन अगर वहां भी उतनी ही भारी बारिश होती है, तो खराब जल निकासी प्रणाली, यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर और अनियोजित शहरीकरण के कारण दिल्ली में भी कोलकाता जैसी ही या उससे भी बदतर स्थिति उत्पन्न हो सकती है. कोलकाता एक डेल्टा क्षेत्र में स्थित है. वहीं, दिल्ली एक मैदानी इलाका है जो यमुना नदी के किनारे स्थित है. दिल्ली की जल निकासी प्रणाली भी पुरानी है, लेकिन इसका मुख्य खतरा यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर और नालियों के अवरुद्ध होने से जुड़ा है।

दिल्ली में यमुना नदी में बाढ़ का खतरा

दिल्ली में बाढ़ का सबसे बड़ा खतरा यमुना नदी से है. कोलकाता की बारिश की तरह अगर दिल्ली में भी इतनी ही बारिश होती है, तो यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ जाएगा. दिल्ली में बाढ़ की मुख्य वजह हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा जाने वाला पानी है, लेकिन शहर में हुई भारी बारिश नदी के पानी को शहर में वापस ला सकती है, जिससे बाढ़ की स्थिति और बिगड़ सकती है. दिल्ली के निचले इलाके, जैसे कि यमुना के खादर (बाढ़ के मैदानों) में बसे हुए इलाके, यमुना बाजार, मयूर विहार, और गीता कॉलोनी जैसे क्षेत्रों में पानी भर जाएगा, जिससे लाखों लोगों को विस्थापित करना पड़ेगा.

बुनियादी ढांचे पर पड़ेगा प्रभाव 

दिल्ली में बिजली, पानी और इंटरनेट जैसी सेवाएं बाधित हो सकती हैं. कई सब-वे और अंडरपास पानी में डूब जाएंगे, जिससे आपातकालीन सेवाएं भी प्रभावित होंगी. सार्वजनिक परिवहन, जैसे मेट्रो और बसें, भारी जलभराव के कारण अपनी सेवाएं देने में असमर्थ हो सकती हैं. जलभराव से जल जनित बीमारियों, जैसे डेंगू, मलेरिया, और टाइफाइड का खतरा बढ़ जाएगा. नालियों और सीवरों का पानी सड़कों पर भर जाएगा, जिससे स्वच्छता की स्थिति बिगड़ जाएगी और बदबू फैलेगी.

अनियोजित विकास और अतिक्रमण

दिल्ली में नालियों और यमुना के बाढ़ के मैदानों (floodplains) पर हो रहे अतिक्रमण ने भी स्थिति को बदतर बना दिया है. ये अतिक्रमण पानी के प्राकृतिक बहाव को रोकते हैं. अनियोजित विकास ने कंक्रीट के जंगलों का विस्तार किया है, जिससे बारिश का पानी जमीन में रिसने की बजाय सड़कों पर ही जमा हो जाता है।

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