डिजिटल दुनिया में आपत्तिजनक संदेश और कमेंट जैसी नकारात्मकताओं की कमी नहीं है। इनसे निपटने में कुछ कानून आपकी मदद करेंगे।
- हर्षिता कौर जग्गी(विधि विशेषज्ञ)
Women Safety Acts In India: सोशल मीडिया और चैटिंग एप्स ने लोगों का आपस में जुड़ना आसान बना दिया है। हालांकि इस सहूलियत के साथ कुछ समस्याएं भी पनपी हैं, जैसे गंदे, अश्लील या अपमानजनक ऑनलाइन संदेश और कमेंट। ऐसे मैसेज कमेंट कई बार पीड़ित को मानसिक रूप से परेशान कर जाते हैं, कई मामलों में तो डिप्रेशन या आत्मघाती विचारों तक की समस्या देखने को मिलती है क्योंकि अमूमन लोगों को ये जानकारी ही नहीं होती कि इसके खिलाफ़ वे कानून की मदद भी ले सकते हैं। इसलिए जानिए कैसे आप कार्रवाई कर सकते हैं...
कौन-कौन से कानून हैं मददगार
भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023
BNS ने पुरानी भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह ली है, लेकिन ऑनलाइन उत्पीड़न और अपराधों से संबंधित प्रावधानों को पहले की तरह ही रखा है।
धारा 79-(यौन उत्पीड़न) इस धारा में अवांछित यौन टिप्पणियां, इशारे, या मांगें शामिल हैं। इसके लिए तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
धारा 76- (पीछा करना) अगर कोई व्यक्ति मना करने पर भी बार-बार इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से संपर्क करता है, तो यह अपराध माना जाता है। तीन साल से पांच साल तक की सजा भी हो सकती है।
धारा 74- (महिला की लज्जा का अपमान) शब्दों, इशारों या हरकतों के माध्यम से किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना अपराध है। इसके लिए तीन साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।
धारा 294- (अश्लील कार्य) यह सार्वजनिक रूप से अश्लील इशारों, हरकतों या ऑनलाइन सामग्री के प्रदर्शन पर रोक लगाती है। जुर्मानाः पहली बार 2,000 से 5,000 रुपये, दोबारा 5,000 से 10,000 रुपये तक।
शिकायत कहां करें?
• पुलिस में एफआईआर दर्ज कराएं।
• कोर्ट से मदद मांग सकते हैं।
• सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट करें।
• राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य आयोग जैसी संस्थाओं से मदद मिल सकती है।
नोट... कानूनी कार्रवाई करने से पहले किसी वकील की मदद लें ताकि सबूत और दस्तावेज सही तरीके से कोर्ट में जाएं।
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सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act), 2000
धारा 66E- (निजता का उल्लंघन) किसी की सहमति के बिना उसकी निजी तस्वीरें या वीडियो प्रसारित करना अपराध है। इसमें तीन साल तक की कैद और 2 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।धारा 67- (अश्लील सामग्री) ऑनलाइन अश्लील सामग्री प्रकाशित करने पर पहली बार अपराध के लिए तीन साल तक की कैद और 5 लाख तक का जुर्माना और दोबारा करने पर पांच साल तक की कैद और 10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
धारा 67A- (यौन स्पष्ट सामग्री) अगर सामग्री साफ़-साफ़ यौन से जुड़ी (SEXUALLY EXPLICIT) है, तो पांच साल तक की कैद और 10 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
धारा 67B- (CSAM) बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री प्रकाशित करने पर पहली बार अपराध के लिए 5 साल तक की कैद और जुर्माना, और दोबारा करने पर सात साल तक की कैद व जुर्माना हो सकता है।
सबूत कैसे जुटाएं
ऑनलाइन कंटेंट आसानी से बदला या डिलीट किया जा सकता है। इसलिए सही सबूत रखना बेहद जरूरी है-
• स्क्रीनशॉट/स्क्रीन रिकॉर्ड करें, जिसमें प्रोफाइल, मैसेज, तारीख और समय साफ दिखे।
• चैट या पोस्ट डिलीट न करें।
• फोन या कंप्यूटर में असली डेटा सेव करें।
• कोर्ट में पेश करने के लिए सेक्शन 63 (4) का सर्टिफिकेट जरूरी है वरना इलेक्ट्रॉनिक सबूत मान्य नहीं होगा।
• अगर गवाह हैं (जिन्होंने वो मैसेज देखा है), तो उनका बयान भी केस मजबूत करेगा।
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