Sharad Purnima: आज शरद पूर्णिमा है, एक पवित्र और शुभ दिन जो हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी चांदनी में अमृत बरसाने की क्षमता होती है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि इस रात चंद्रमा की किरणों में अमृत तत्व होता है।
शरद पूर्णिमा का महत्व
इस दिन चंद्रमा की पूजा के साथ-साथ मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख-समृद्धि हासिल होती है। शरद पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य का भी विशेष लाभ होता है और गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
शरद पूर्णिमा की पूजा विधि बहुत ही सरल है। इस दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहने और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और उनकी पूजा करें। रात में दूध में चावल डालकर खीर बनाएं और इसे चांद की रोशनी में रखें।
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त- खीर रखने का समय
शरद पूर्णिमा के दिन कुछ शुभ मुहूर्त होते हैं जिनका पालन करना आवश्यक है। इस दिन भद्रा काल दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से रात 10 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। इसलिए खीर को चांद की रोशनी में रखने का सबसे अच्छा समय रात 10:53 बजे के बाद होगा, जो मध्यरात्रि 12 बजकर 9 मिनट तक रहेगा।
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शरद पूर्णिमा के मंत्र
शरद पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना बहुत ही लाभकारी होता है। इन मंत्रों में से एक है "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः"। इस मंत्र का जाप करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
शरद पूर्णिमा में होते हैं ये लाभ
शरद पूर्णिमा के दिन कई लाभ होते हैं।
• इस दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत तत्व होता है जो सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक होता है।
• इस दिन दान-पुण्य करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
• शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।

