प्रेम और स्नेह करने से मिलता हैं बच्चों को भावनात्मक सहारा

प्रेम और स्नेह करने से मिलता हैं बच्चों को भावनात्मक सहारा


जिंदगी के कैंनवास पर नाते-रिश्ते को इंद्रधनुष रंगों से सजाने के लिए समय-समय पर सिंचित करना पड़ता हैं । जिस तरह से मोबाईल पर बातचीत करने के लिए नेटवर्क का सही होना बहुत जरूरी हैं ठीक उसी तरह जिंदगी की खुशहाली के लिए सामाजिक संबंधों का मजबूत होना चाहिए । सामाजिक संबंधों के अंतर्गत परिवारिक सदस्य , नाते-रिश्तेदार, मित्र , पड़ोसी और परिचित के लोगों के साथ संबंधों के नेटवर्क भी मजबूत होना जरूरी हैं । कुछ रिश्ते जन्म के साथ उपहार स्वरुप मिलते हैं तो कुछ करीबी रिश्ते शामिल होते जाते हैं । ऐसे ही एक रिश्ता जांजगीर-चांपा जिला अंतर्गत बम्हनीडीह विकासखंड ब्लाक शिक्षा अधिकारी श्रीमति रत्ना थवाईत और साहित्यकार शशिभूषण सोनी के बीच बहन-भाई का आत्मीय बंधन हैं । उनकी नन्ही-सी बेटी सुश्री लड्डू थवाईत के बीच स्नेहिल मामा-भांजीं का रिश्ता हैं!


मामा और भांजी का रिश्ता ! मिठास और प्रेम के धागों से परिपूर्ण

मामा और भांजी के बीच का रिश्ता बहुत ही खास होता हैं । यह रिश्ता भावनाओं, स्नेह और प्रेम के धागों से बंधा होता हैं । शशिभूषण सोनी और नन्ही-सी बच्ची लड्डू थवाईत के बीच का रिश्ता भी इसी तरह का हैं , जो मिठास और प्रेम से भरा हुआ हैं 


भावनात्मक बंधन

मामा और भांजी के बीच का रिश्ता एक भावनात्मक बंधन हैं ,जो दोनों के दिलों को जोड़ता हैं । यह रिश्ता विश्वास , स्नेह और प्रेम पर आधारित हैं ,जो दोनों के बीच एक मज़बूत बंधन बनाता हैं ।

भागवत कथा में बच्ची से भेंट हुई और उसे गोदी में उठा लिया

श्रीमद्भागवत कथा के दौरान छोटी-सी बच्ची लड्डू से भेट हुई और शशिभूषण जी ने उसे उठा लिया । एक कविता के माध्यम से मामा और भांजीं के रिश्ते को प्रगाढ़ बनाते हुए उन्होंने श्रीमद्भागवत कथा स्थल पर कविता समर्पित किया।


मामा-भांजी का बना रहे प्यार

मामा-भांजी का प्यार एक अनमोल रिश्ता हैं । यह रिश्ता हमें सिखाता हैं कि प्रेम , स्नेह और वात्सल्य करने से बच्चों को भावनात्मक संबल मिलता हैं । कुल मिलाकर जब बच्चें भी जिनसे प्यार, सम्मान और समर्थन महसूस करते हैं तो वे अधिक आत्मविश्वासी और सकारात्मक बनते हैं


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